शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

महगाई की मार

जैसे जैसे शुकलपक्ष का चंद्रमा बढ़ता जाता है वैसे ही दिन ब दिन महगाई बढती जारही है !ये सही है की देश की तरक्की के लिए आर्थिक रूप से विकास होना जरुरी है ,लेकिन तरक्की के लिए पुरी तरह से आम जनता पर बोझ डालना क्या है न्यायसंगत है ?इस मसले पर गहन विचार करने की आवश्यकता है !इस बात में कोई अतिशिओक्ति नही है की डॉ मनमोहन सिंह एक बहुत बडे अर्थसास्त्री है ,लेकिन इससे पहले वे भी एक भारतीय है ,और इस नाते उनका पहला कर्त्यव आम जनता की परेशानियो का निदान ढूँढना है!कांग्रेस की सरकार में चीजो के दम तो बढ़ ही रहे थे अब लोगो को परिवहन सम्बन्धी कठनाईयो को भी झेलना पर रहा है!जहाँ डीटीसी बसों में लोगो का सफर सुहाना होता था ,वहीं अब जनता की जेब को हल्का करने की तरकीब सरकार को सूझ गई!ये वक्त है इस समस्या का हल ढूंढने का ,नहीं तो वह दिन दूर नही जब बाहरीराज्यों से आए नागरिक अपने गाँव की ओर पलायन कर लेंगे ओर फिर ओ गरीबी की मार झेलने को मजबूर हो जायेंगे !
अब मै अपनी लेखन को एक उम्मीद के साथ विराम दे रही हूँ !

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